Meghna Dwivedi
1 min readOct 11, 2022

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कभी पूछा है?

कभी गगन में उड़ते पंछियों से पूछा है की कब सोये थे सुकून की नंद..
कभी बारिश में झुझते उन मछुआरों से पूछा है की कब आए थे वो जल्दी घर…
कभी आंधी से पूछा है की कब ठहरी थी वो बदलों के संग..
कभी ऊंचे खड़े पर्वतों से पूछा है की क्या होता है नदियों का महत्त्व…
कभी बचपन से पूछा है की क्या होता है परिपक्वता का असर..
कभी सागर में तैरती कश्ती से पूछा है की क्या होता है अपना घर होने का सुख..
कभी मुस्कुराहटों से पूछा है की क्या होता है आंसुओं का मर्ज़..
कभी बेफिक्र पतंग से पूछा है की क्या होता है बिछड़ जाने का अर्थ..
कभी चंचल आंखों से पूछा है की क्या होता है नींद उड़ जाने का दर्द..
कभी अपने प्यारों से पूछा है की क्या होती है वह पास रह के भी दूर होने की उलझन..
कभी अपने दिल से पूछा का कैसा होता है धड़कनों के ना होने का डर..
कभी पूछा है?

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